Strawberry की खेती कैसे करें || Strawberry ki kheti kaise kre

भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती अब केवल पहाड़ी क्षेत्रों तक सीमित नहीं रही। उन्नत तकनीकों और सिंचाई प्रणालियों के कारण अब इसे मैदानी इलाकों में भी सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है। यह लेख आपको व्यावसायिक स्तर पर स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए पूरी, तथ्यात्मक और व्यावहारिक जानकारी देगा।


1. जलवायु और तापमान

  • स्ट्रॉबेरी के लिए समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त होती है।
  • 15°C से 25°C तापमान इसके लिए आदर्श माना जाता है।
  • अधिक गर्मी या ठंड में पौधे की वृद्धि रुक जाती है।

2. मिट्टी की तैयारी

  • रेतीली दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकास अच्छा हो, सर्वोत्तम है।
  • pH मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए।
  • खेत को अच्छे से जुताई कर के प्रति एकड़ 20-25 टन गोबर की सड़ी खाद डालें।

3. स्ट्रॉबेरी की प्रमुख किस्में (Varieties)

भारत में सफल किस्में:

  • चैंडलर (Chandler) – उच्च उपज और स्वादिष्ट फल।
  • एल्बियन (Albion) – लगातार फल देने वाली किस्म।
  • कैम्ब्रिज फेवरिट, सैगॉए, टिआगा – स्थानीय अनुकूलन के अनुसार उपयुक्त।

4. रोपाई का समय और विधि

  • अक्टूबर से दिसंबर तक रोपाई करें।
  • कतार-दर-कतार दूरी: 60-90 सेमी, पौधे-दर-पौधे दूरी: 30-45 सेमी।
  • ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग से नमी बनी रहती है और खरपतवार नियंत्रित होता है।

5. सिंचाई प्रबंधन

  • लगातार हल्की सिंचाई आवश्यक है, पर जलभराव से बचें।
  • ड्रिप सिस्टम में प्रति पौधे लगभग 0.5 से 1 लीटर प्रतिदिन पानी दें।

6. उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Schedule)

  • रोपाई से पहले प्रति एकड़ 20-25 टन गोबर खाद डालें।
  • रासायनिक उर्वरक की खुराक (प्रति हेक्टेयर):
    • नाइट्रोजन (N): 60 कि.ग्रा, फॉस्फोरस (P): 80 कि.ग्रा, पोटाश (K): 60 कि.ग्रा
  • माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के लिए:
    • जिंक (Zn), बोरॉन (B)मैग्नीशियम (Mg) की फोलिएर स्प्रे करें।
    • जैसे: Agromin, Micnelf या YaraVita Rexene Zn

7. प्रमुख कीट और नियंत्रण

(A) एफिड (Aphids): पत्तियों को चूसकर पौधे कमजोर करते हैं।

  • उपाय: Imidacloprid 17.8% SL (0.3 मिली/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव)।

(B) थ्रिप्स (Thrips): फूल व फल को नुकसान पहुंचाते हैं।

  • उपाय: Spinosad 45% SC (0.3 मिली/लीटर)।

(C) कटवर्म (Cutworms): जड़ काट देते हैं।

  • उपाय: Chlorpyrifos 20% EC (2.5 मिली/लीटर)।

8. रोग और रोकथाम

(A) ग्रे मोल्ड (Botrytis cinerea): फल सड़ जाते हैं।

  • उपाय: Captan 50% WP या Carbendazim 50% WP (1 ग्राम/लीटर)।

(B) पाउडरी मिल्ड्यू: सफेद फफूंदी जैसी परत बनती है।

  • उपाय: Sulphur 80% WDG (2 ग्राम/लीटर)।

(C) रूट रॉट (Phytophthora): जड़ गल जाती है।

  • उपाय: Metalaxyl + Mancozeb (2 ग्राम/लीटर)।

9. फूल, फल और तुड़ाई

  • रोपाई के 60-70 दिन बाद फूल आने लगते हैं।
  • फल तुड़ाई के लिए पूरी तरह लाल रंग होने का इंतजार करें।
  • सुबह जल्दी तुड़ाई करें और ठंडी जगह में रखें।

10. उपज व लाभ

  • एक एकड़ से औसतन 8-15 टन फल मिल सकते हैं।
  • बाज़ार भाव: ₹150 से ₹400 प्रति किलो, स्थान व मौसम पर निर्भर करता है।

11. विपणन और प्रोसेसिंग

  • स्थानीय मंडी, सुपरमार्केट, प्रोसेसिंग यूनिट में आपूर्ति करें।
  • जैम, जैली, स्क्वैश, स्ट्रॉबेरी पल्प बनाकर ज्यादा मुनाफा कमाएं।
  • कोल्ड स्टोरेज या रेफ्रिजरेटेड ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करें।

निष्कर्ष

स्ट्रॉबेरी की खेती में थोड़ी अधिक मेहनत और तकनीकी जानकारी की आवश्यकता होती है, लेकिन यदि आप सही किस्म, सिंचाई, पोषण व संरक्षण का ध्यान रखें, तो यह बेहद लाभदायक खेती बन सकती है।

👉 सही दवाओं और आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर के ही आप उच्च गुणवत्ता और उत्पादन पा सकते हैं। किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि कृषि वैज्ञानिकों से मार्गदर्शन लेते रहें और स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क बनाए रखें।