लीची की खेती कैसे करें और अच्छा मुनाफा पाएं || Lychee Farming

Lychee ki kheti (Full Guide)

भारत में लीची की खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम और पंजाब जैसे राज्यों में प्रमुखता से की जाती है। यह एक उष्णकटिबंधीय फल है जिसकी मांग देश-विदेश में लगातार बढ़ रही है। नीचे दी गई जानकारी लीची की वैज्ञानिक खेती पर आधारित है।


✅ उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

जलवायु:

  • लीची की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है।
  • तापमान: 20°C से 35°C के बीच होना चाहिए।
  • फूल आने के समय शुष्क मौसम होना लाभकारी होता है।

मिट्टी:

  • दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी रहती है।
  • pH मान 5.5 से 7.5 के बीच उपयुक्त होता है।
  • अच्छी जल निकासी आवश्यक है। जलभराव नुकसानदायक होता है।

✅ प्रमुख किस्में

किस्म का नामविशेषताएँ
शाहीजल्दी पकने वाली, बिहार में प्रसिद्ध
चाइनाआकार में बड़ा फल, स्वाद में अच्छा
रोजादेर से पकने वाली किस्म
कली मिठियाउत्तर प्रदेश में लोकप्रिय

✅ पौध रोपण और दूरी

  • पौधों को जून-जुलाई या फरवरी-मार्च में लगाना सबसे अच्छा रहता है।
  • रोपाई से पहले गड्ढों को 1x1x1 मीटर आकार में खोदें।
  • गड्ढों में 15-20 किलो गोबर की खाद, 1 किलो नीम की खली और 100 ग्राम सुपर फॉस्फेट मिलाकर भरें।
  • पौधों के बीच की दूरी: 8×8 मीटर या 10×10 मीटर।

✅ खाद एवं उर्वरक योजना (प्रति पौधा प्रति वर्ष)

आयु (वर्ष)गोबर की खाद (किग्रा)यूरिया (ग्राम)सिंगल सुपर फॉस्फेट (ग्राम)म्यूरेट ऑफ पोटाश (ग्राम)
1105010040
320150300120
5+30-40500600400
  • खाद वर्ष में दो बार दें: पहली बार फरवरी में, दूसरी बार जून-जुलाई में।

✅ सिंचाई प्रबंधन

  • गर्मी में 10-12 दिन में एक बार सिंचाई करें।
  • सर्दियों में 20-25 दिन में एक बार सिंचाई करें।
  • फूल आने के समय सिंचाई बंद कर दें, इससे पुष्पन अच्छा होता है।
  • टपक सिंचाई (Drip Irrigation) तकनीक से जल की बचत और बेहतर वृद्धि होती है।

✅ रोग और कीट नियंत्रण

1. फल छेदक कीट (Fruit Borer):

  • लक्षण: फल के अंदर घुसकर उसे खराब करता है।
  • नियंत्रण: स्पिनोसैड 2.5% SC @1 मिली/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

2. लीची माइट (Litchi Mite):

  • नियंत्रण: सल्फर 80% WP @3 ग्राम/लीटर पानी में छिड़काव करें।

3. लीफ ब्लाइट (पत्तियों का झुलसना):

  • नियंत्रण: कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 WP @3 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

जैविक उपाय:

  • नीम का अर्क या ट्राइकोडर्मा युक्त जैविक घोल का प्रयोग करें।

✅ तुड़ाई और ग्रेडिंग

  • पौध रोपण के 5-6 साल बाद फल देना शुरू करता है।
  • लीची अप्रैल के अंत से जून तक पकती है।
  • तुड़ाई सुबह या शाम के समय करें, जब तापमान कम हो।
  • फल को डंठल सहित तोड़ें ताकि वह ज्यादा समय तक खराब न हो।
  • ग्रेडिंग कर अच्छे फलों को अलग करें और पैकिंग करें।

✅ पैदावार और आमदनी

  • एक पूर्ण विकसित पौधा 40-100 किलोग्राम फल देता है।
  • बाजार भाव ₹60-₹150 प्रति किलो तक हो सकता है।
  • प्रति हेक्टेयर अनुमानित उपज: 80-120 क्विंटल।

✅ अतिरिक्त सुझाव

  • मधुमक्खियों की उपस्थिति पुष्प परागण के लिए लाभकारी है।
  • खेत की नियमित निगरानी करें और समय पर छंटाई करें।
  • बागवानी विभाग से संपर्क कर प्रशिक्षण और सरकारी योजनाओं का लाभ लें।