अंगूर की खेती कैसे करें || Angoor ki kheti kaise kre

अंगूर की वैज्ञानिक खेती: भारत में अधिक उत्पादन और मुनाफे के लिए सम्पूर्ण गाइड


✅ आवश्यक जलवायु और मिट्टी

जलवायु:

  • अंगूर की खेती के लिए शुष्क व गर्म जलवायु सबसे उपयुक्त होती है।
  • 15°C से 35°C तक तापमान इसकी वृद्धि के लिए आदर्श होता है।
  • अत्यधिक वर्षा और पाला नुकसानदायक होते हैं।

मिट्टी:

  • अच्छी जलनिकासी वाली बलुई-दोमट या दोमट मिट्टी सर्वोत्तम रहती है।
  • pH स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
  • नमकयुक्त या जलभराव वाली भूमि में अंगूर नहीं उगाना चाहिए।

🍇 प्रमुख किस्में (भारत के लिए उपयुक्त)

किस्म का नामविशेषताउपयोग
थॉम्पसन सीडलैसबीज रहित, अधिक उत्पादनटेबल व ड्राय फ्रूट
बैंगलोर ब्लूस्वादिष्ट, दक्षिण भारत में प्रचलितवाइन और टेबल
अनाब-ए-शाहीबड़े फल, उच्च शर्कराटेबल
अर्का किशमिशअधिक मिठास, अच्छी ग्रोथटेबल व सूखे अंगूर
दिलखुशउत्तर भारत के लिए उपयुक्तताजे फल

🌱 रोपण की विधि और समय

समय:

  • उत्तरी भारत: जनवरी – फरवरी
  • दक्षिण भारत: जून – जुलाई या दिसंबर – जनवरी

विधि:

  • ग्राफ्टेड पौधों का उपयोग करें।
  • कतार से कतार दूरी: 3 मीटर
  • पौधे से पौधे की दूरी: 1.5 – 2 मीटर
  • गड्ढों का आकार: 60x60x60 सेमी, जिसमें गोबर की खाद, नीमखली और टॉपसॉइल मिलाएं।

💧 सिंचाई प्रबंधन

चरणसिंचाई
पौध रोपणतुरंत हल्की सिंचाई
प्रारंभिक वृद्धिहर 7–10 दिन में
फल बनने के दौरानहर 5–7 दिन में
फल पकने परसिंचाई सीमित करें ताकि स्वाद अच्छा बने

ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाना लाभदायक होता है — इससे जल की बचत होती है और पौधों को नमी बराबर मिलती है।


🍀 उर्वरक व पोषण प्रबंधन (प्रति पौधा)

पोषक तत्वमात्रा (वर्ष 1)मात्रा (वर्ष 3 से)
गोबर खाद10–15 किलो20–25 किलो
नाइट्रोजन (N)50 ग्राम150 ग्राम
फॉस्फोरस (P)40 ग्राम100 ग्राम
पोटाश (K)50 ग्राम150 ग्राम
  • DAP, SSP और MOP का उपयोग वैज्ञानिक मात्रा में करें।
  • माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे Zn, Fe की स्प्रे की जाए (0.5% ZnSO4 या FeSO4)।

🐛 प्रमुख कीट व रोग नियंत्रण

🔹 कीट:

  1. थ्रिप्स / जेसिड्स:
    • नियंत्रण: Spinosad 45% SC (1 मिली/लीटर पानी)
  2. मेली बग्स (Mealy bugs):
    • नियंत्रण: Imidacloprid 17.8% SL (0.3 मिली/लीटर)
  3. फल छेदक कीट:
    • नियंत्रण: Chlorantraniliprole 18.5% SC (0.4 मिली/लीटर)

🔹 रोग:

  1. एन्थ्राक्नोज (Anthracnose):
    • लक्षण: फलों पर धब्बे
    • नियंत्रण: Carbendazim 50% WP (1 ग्राम/लीटर)
  2. पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery mildew):
    • नियंत्रण: Sulphur 80% WP (2 ग्राम/लीटर)
  3. डाउऩी मिल्ड्यू:
    • नियंत्रण: Metalaxyl + Mancozeb (2 ग्राम/लीटर)

🧪 जैविक उपाय:

  • नीम तेल 1500 ppm (5 मिली/लीटर)
  • ट्राइकोडर्मा विरिडी (5 ग्राम/किलो खाद में मिलाकर)

✂️ छंटाई और संरचना (Training & Pruning)

  • य-आकार की मचान प्रणाली (Y-Trellis) सबसे उपयुक्त है।
  • पहली छंटाई: रोपण के 6 माह बाद
  • बाद में हर वर्ष सर्दी में छंटाई करें।

छंटाई से पौधे में नई शाखाएं आती हैं और फलोत्पादन बढ़ता है।


🍇 तुड़ाई और भंडारण

  • फल पकने पर छिलका थोड़ा नरम, मीठा और रंग गहरा हो जाता है।
  • तुड़ाई हाथ से剪 की जाती है, और फलों को ग्रेडिंग कर 4°C – 10°C पर संग्रह करें।

💰 उत्पादन और मुनाफा (औसतन)

वर्षऔसत उत्पादन/एकड़अनुमानित आय
पहला2–3 टन₹40,000–₹60,000
दूसरा6–8 टन₹1.2–1.6 लाख
तीसरा और आगे10–15 टन₹2–3 लाख+

नोट: यह उत्पादन सिंचाई, देखभाल और किस्म पर निर्भर करता है।


📦 विपणन व एक्सपोर्ट

  • टेबल अंगूर की मांग दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में अधिक है।
  • Export Grade फलों के लिए ग्रेडिंग, पैकिंग और प्री-कूलिंग करना आवश्यक है।
  • आप APEDA (India’s Agricultural Export Agency) से संपर्क कर सकते हैं।

✅ निष्कर्ष

अगर आप अंगूर की खेती वैज्ञानिक तरीके से करें, सही किस्मों का चयन करें और रोग नियंत्रण का ध्यान रखें — तो यह एक अत्यंत लाभकारी और दीर्घकालिक फल फसल है।